Thursday, 9 February 2012

वायवीय सिद्धि

शुन्य से मनचाही वास्तु प्राप्त करने की साधना और प्रयोग

             शुन्य से मनोवांछित पदार्थ प्राप्त करना भारतीय साधको और योगिओं का सफलतादायक प्रयोग रहा हे . जंगलो में जब वे साधनारत होते हे तो वे इसी साधना से शुन्य से अपनी मनोवांछित वस्तु प्राप्त कर अपना कार्य संपन्न करते हे
हवा से भोजन प्राप्त करना, शीतल जल , रूपये , धन धान्य , वस्त्र और अन्य वस्तुए जो भी भौतिक पदार्थ संसार में सुलभ हे उन्हें एक क्षण में प्राप्त कर लेना "वायवीय सिद्धि   " हे 

अभी तक ये साधना पूर्णतया गोपनीय रही हे पर इन पंक्तियों के माध्यम से स्वामी हर्षानंद पहली बार इस प्रमाणिक विधि को प्रस्तुत कर रहे हे.

  मेरे जीवन की कई दिनों  की चाह थी के में वायवीय साधना संपन्न करू परन्तु इस साधना को सिखाने वालो की भारतवर्ष में सर्वथा कमी हे . यधपि दावा तो हजारो साधू और योगी करते हे तथा वे अपने भक्तो के सामने हवा में से भभूत या छोटी मोटी चींजे निकल कर देते भी हे पर ये सब चालाकी और हाथ की सफाई होती हे और  ये सब धूर्तता हे कोई भी छोटा मोटा जादूगर ये आपको सिखा सकता हे .

में गृहस्थ था परन्तु एक तरह से कर्म सन्यासी हूँ , गृहस्थ रहते हुए भी गृहस्थ नहीं हूँ , मन जम जाता हे तो कई कई महीने हिमालय में साधनारत हो जाता हूँ , औ मौज आती हे तो तीर्थ यात्राओ के दर्शन के लिए निकल जाता हूँ , मेरा कोई निश्चित स्थान और पता नहीं हे परन्तु में भगवे वस्त्र पहनने वाले बाबाओ में से नहीं हूँ जो कुछ भी न जानते हुए बहुत कुछ जानने को ढोंग करते हे,

    ऐसे ही घूमते घूमते एक दिन  मुझे केदारनाथ से पहले गौरी कुंड के पास एक योगी दर्शन हो गए , जो दिखने में तो सीधे सादे थे परन्तु उनके चेहरे पर एक अपूर्व तेज और आभा झलक रही थी. वे भी केदारनाथ की यात्रा पर थे, इसलिए मेरा उनका साथ हो गया और मेने उनका सामान अपने कंधो  पर उठा लिया जिससे उन वृद्ध योगी को कुछ रहत महसूस हुई उनके साथ रहते हुए अनेक आश्चर्यजनक  घटनाये घटी , फलत मेरे मन में वायवीय विद्या सिखने का विचार आया तो मेने उन्हें इसके बारे में बताया और जानकारी लेनी इच्छा जाहिर की . तो उन्होंने मुझे बताया की ये साधना योगियों, तपस्वियों के लिए कोई अजूबा नहीं हे. हम लोग पहाड़ो पर इसी साधना के बल पर ही तो इतनी मस्ती से रहते हे, यह साधना जितनी हमारे लिए उपयोगी हे उतनी ही गृहस्थ लोगो के लिए भी उपयोगी हे, इसके माध्यम से शुन्य में से मामूली सुई भी प्राप्त की जा सकती हे और हाथी भी प्राप्त किया जा सकता हे

  मेने धड़कते दिल से यह विद्या सिखने की इच्छा प्रकट की तो उन्होंने कुछ क्षण मेरी और ताका फिर सिखाने के लिए सहमत हो गए उनकी स्वीकृति मेरे लिए वरदानस्वरूप थी , एक तो में गृहस्थ जीवन को आसानी से सुख सुविधा पूर्ण बिता सकता था और आराम से अपना समय साधना कार्यो में लगा सकता था दुसरे इससे मुझे इस विद्या के बारे में प्रमाणिकता का पता भी चल जायेगा और में धडल्ले से लोगो को कह सकूँगा की यह विद्या पुर्णतः सही और प्रमाणिक हे. केदारनाथ की यात्रा कर हम पुनः बद्रीनाथ आ गए, यहाँ पर स्वामी जी पंद्रह बीस दिन रहने चाहते थे, में भी उनके साथ ठहर गया मेरे अनुरोध पे उन्होंने मुझे वही पर इसकी जानकारी दी.

साधना दिवस

स्वामी जी के अनुसार शुन्य साधना को संपन्न करने का श्रेष्ठ समय मार्गशीर्ष शुक्लपक्ष के प्रथम रविवार से प्रारंभ होता हे, तह पांच दिन की साधना हे और पांच साधना करने पर यह सिद्ध हो जाती हे.

साधना उपकरण

मेरे पूछने पर स्वामी जी ने बताया की इसके लिए पांच वस्तुओ की आवश्यकता होती हे - १. स्फटिक माला ( मंत्र सिद्ध, प्राण प्रतिष्ठायुक्त ) २. बिल्ली की नाल  ३. शुन्य गुटिका  ४. घी का दीपक  ५. सफ़ेद सूती आसन 
ये पांचो वस्तुए साधक को मंगाकर रख लेनी चाहिए

साधना विधि 

मार्गशीर्ष शुक्लपक्ष के रविवार को प्रातः काल स्नान करके घर के एकांत में सफ़ेद सूती आसन बिछा कर सामने जल पात्र रख दे और घी का दीपक लगा ले फिर किसी पात्र में केसर या कुमकुम से स्वस्तिक चिन्ह बनाकर उस पर शुन्य गुटिका रखदे और उसके सामने ही बिल्ली की नाल रख दे इस बात का ध्यान रखना चाहिए की ये दोनों वस्तुए पूर्ण प्राण प्रतिष्ठा युक्त और मंत्र सिद्ध होनी चाहिए.
इसके बाद १०८ मनको की स्फटिक माला से मंत्र जप प्रारंभ करने चाहिए , नित्य १०१ मालाये फेरने का विधान हे.

साधना नियम

इस साधना में साधक को पांचो दिन केवल दूध पर ही बिताने चाहिए, अन्न ग्रहण नहीं करे, दूध जितनी बार जितना चाहे पी सकते हे यदि दूध स्वास्थ्य की दृष्टि से अनुकूल नहीं हे तो चाय पीकर या फिर सर्वथा भूखे रहकर भी साधना की जा सकती हे साथ ही साथ भूमि शयन , ब्रहमचर्य का पालन करना चाहिए इसके अतिरिक्त कोई जटिल विधि विधान नहीं हे.

   जब साधना पूरी हो जाये तब बिल्ली की नाल और शुन्य गुटिका को किसी चांदी के ताबीज में बंद करके अपनी दाहिनी भुजा पर काले धागे से बांध ले .एसा करने से यह साधना सिद्ध हो जाती हे इसके बाद जब भी किसी वस्तु की आवशकता हो तो केवल एक बार मंत्र उच्चारण करके वस्तु की इच्छा की जाती हे तो वह वस्तु तुरंत प्राप्त हो जाती हे और जब उस वस्तु को वापस हवा में विलीन करना हो तो फिर से एक बार मंत्र का उच्चारण करके मन में भावना लेन से वह वस्तु हवा में विलीन हो जाती हे 

इस साधना का कोई विपरीत प्रभाव नहीं पड़ता, यदि किसी वजह से साधना खंडित भी हो जाती हे तब भी कोई नुकसान या हानि नहीं होती , यह सोम्य मान्त्रिक साधना हे जिसका फल अतिशीघ्र प्राप्त होता हे 

साधना मंत्र

इस साधना में जिस मंत्र का जप किया जाता हे वह स्वामी जी के अनुसार इस प्रकार हे -

ॐ वैताली वैताली वायु मार्गेण 
इच्छित पदार्थ प्राप्ति क्रीं क्रीं ह्रीं हुं फट

यह लघु  मंत्र वैताली मंत्र हे और अपने आप में अचूक तथा शीघ्र सिद्धिदायक मंत्र हे यह मंत्र महागोपनीय कहा गया हे इसलिए इसे कुकर्मी या दुष्ट प्रकति वाले व्यक्ति को इस मंत्र का ज्ञान नहीं होना चाहिए 


जय सदगुरुदेव

From 
रहस्यमय अज्ञात तंत्रों की खोज में 
Written by My Gurudev  



-------------------------------------------------------------------------------------------------------------


Vayviya Siddhi

A practice to get everthing from air

It is a astounding success of yogis and sages to get desired substance from the air. Whenever they complete their Sadhnas in forests they get desired meterial from the air because of this sadhna
To get food from the air, cold water, money, clothing and other items accessible in the world is only possible by Vayviya sidhi
This sadhna has been very private but  through these lines here are presented for the first time proven method of this sadhna by Swami Harshanand ji
I wanted to accomplish this sadhna from past many years but you know it is not get a real master who can teach you this sadhna. There are many sly in the world who claim to have this sadhna even they present bhabhut or other little stuff in their hand but all this is nothing but  all tricks and sleight of hand.  Any  street megecian can teach you this method
Though I am a house holder but my life is like a house hermit, I have no interest in mereastic life, I have a family but whever I wish I do sadhna in himalaya for many months, go out to shrine places. I have definate plac, I don’t wear bhagwa dress like other monks or sages who pretend to have a lot of knowlegde but hardly know something
Just like that one day I had a sight of yogi at Gouri Kund before kedarnath . he was very simple and gentle but there was an uncommonly sharp look on his face and aura.he was also on the journey to kedarnath so I took his company as we both had same desination, I  lifted his luggage on my shoulders and because of this that sage felt some relief and joy, While with him many wonderful events took place and this realization came to my mind that I should ask him make me learn vayviya sadhna. When I expressed my feeling to him, he told me that for practicing yogis and sages this sadhna is not unusual even with the help of this sadhna we restfully live in mountains. This sadhna is not only important for us but also important for householders, thru this sadhna you can get a niddle from the air or even you can get a elephant out of it.

With throbbing heart I expressed my feeling to learn this sadhna, he stared at my face for a few seconds then he agreed to make me learn this sadhna. There are multiple benefits of this sadhna for me first I can produce any stuff of use secondly I can prove the truth of the existance of this sadhna  

Days of Sadhna
According to swami ji , best time to complete this sadhna is first Sunday of margashish suklapaksh. It’s a five day ritual and after five days it becomes siddhi for a sadhak

Sadhna Meterial
Swami ji me told me that five elements are required to complete this sadhna
1.     Crystal beads roasary
2.      Cord of cat
3.    Shunya Gutika
4.     Ghee lamp
5.     White cotton seat

Sadhna Method
On prescribed days in privacy place white cotton seat and Ghee lamp,  in any plate make a sign of swastik with Kesar or saffron and place shunya gutika in this plate and place cord of cat in front of it. After it you should complete 101 Mala with crystal beads roasary

Rules of sadhna
In sadhna period a sadhak shadhak can only drink milk he should not eat grains. There is no limit of time and quantity of milk but no other edible is allowed, if you can not take milk then instead of it tea is allowed   or  sadhna can be done with complete starvation. Aprart this sleeping on land, following bramhcharya are must, there is no other complicated rules for this sadhna.

When you are done with sadhna, lock shunya gutika and cord of cat in a Silver Amulet and tie it on right arm with black threads, whenever you need something just utter this mantra 1 times and that stuff wil be presented in front of you.

There is no negative impact of this sadhna if beacause of any reason one has to leave this sadhna in between, it doesn’t harm the sadhak

Sadhna Mantra

Aum vaitali vaitali vayu margen
Ichchhit padarth prapti kreem kreem hreem hum fat

Jai Sadgurudev

From 
रहस्यमय अज्ञात तंत्रों की खोज में 
Written by My Gurudev 




12 comments:

SUd. said...

MUST SAY....NICE....

KEEP POSTING DEAR,

Anonymous said...

thx bhai...

Vishal Sharma said...

May Gurudev Bless You

amit said...

is any one try this

pavanvarmav said...

Where we can get Shunya Gutika ?

Anonymous said...

i want to do this sadhna so where i can get sadhna material. plz tell me....

Vishal Sharma said...

For all Sadhna Material, You can contact Gurudham Jhodhpur

Astrologer Peeyush Vashisth said...

Very nice Article keep posting article like this.lal gunja
very informative article contains very knowledge and nice one Ek Mukhi Rudraksha Please write more article regularly

Shree Ram Priwar said...

Kya AP hamara maddat karoge

Unknown said...

Kya apne try kiya h

Unknown said...

Great Information,

Unknown said...

Ye mere guru ke pass hai vidhya