ब्रह्मत्व की प्राप्ति का शाश्वत मंत्र
मनुष्य स्वयं ब्रम्हा का ही एक रूप हे या फिर ये कहा जाये की स्वयं ब्रम्हा हे. " अहं ब्रम्हास्मि " इसी भावना को प्रदर्शित करता हे , जब तक वह ब्रह्मा से दूर रहता हे तब तक वह मनुष्य योनी में जन्म लेता हे, वह जीवन में पूर्णता तभी प्राप्त कर सकता हे जब वह पुनः उसी ब्रह्म सत्ता में लीन हो जाये. ब्रह्मा में लीन करने का संसार में एक ही मंत्र हे जिसे हमारे शास्त्रों में " गायत्री मंत्र " के नाम से संबोधित किया गया हे. मूलतः गायत्री मंत्र ३२ अक्षरों से युक्त हे परन्तु जनसाधारण में निम्नलिखित गायत्री मंत्र ही प्रचलित हे, इस मंत्र के द्वारा व्यक्ति निश्चित ही उस परम तत्त्व को प्राप्त कर सकता हे जोकि समस्त ब्रह्माण्ड की सर्वोच्च सत्ता हे
गायत्री मंत्र
ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो
देवस्यः धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्.
इसकी विशेषता यह की लिखते समय यह मंत्र " र्वरेण्यं " लिखा जाता हे , परन्तु उच्चारण करते समय " वरेणियम " शब्द उच्चारित होता हे.
यदि जीवन में शीघ्र पूर्णता चाहे तो साधक को ३२ अक्षरों से युक्त गायत्री मंत्र का उच्चारण करना चाहिए इसके गोपनीय आठ अक्षर हे जो इस प्रकार हे -
शिवो रजसे शिवान्तु
इस प्रकार साधक यदि ३२ अक्षरों से युक्त गायत्री मंत्र का जाप नित्य करे तो इसके सामान कोई अमोघ अस्त्र नहीं हे निश्चय ही यह मंत्र पापी व्यक्ति को भी पूर्ण शुद्ध करके ब्रम्हत्व तक पहुचने में सक्षम हे
जय गुरुदेव
सोजन्य से
रहस्यमय अज्ञात मंत्रो की खोज में
3 comments:
this is very ueful for me
May Gurudev Bless you
शिवो रजसे शिवन्तु पूर्ण नहीं है। इसको पूर्ण कीजिये
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