Saturday 12 November 2011

Tratak Kriya

क्या आप किसी भी घटना के घटने से पहले उसे जानने का अनुभव करना चाहते हैं? कैसा रहे अगर किसी व्यक्ति के बारे में सोचने मात्र से, आपको उसका भविष्य दिखाई देने लगे। यह असम्भव नहीं है, आप बिन्दू त्राटक के अभ्यास से ये सब सम्भव बना सकते हैं। आइये जानते हैं क्या है बिन्दू त्राटक और इसे करने की विधि…विधि-: – बिन्दू त्राटक का अर्थ है बिन्दू लगाकर उस पर ध्यान केन्द्रित करना। – दीवार या हार्ड बोर्ड पर एक बिन्दू लगाकर इसका अभ्यास किया जाता है।- बिन्दू को तब तक बिना पलक झपकाए देखते रहें जब तक कि आंखों में पानी न आ जाए इस तरह रोज इसका अभ्यास पांच मिनट से शुरू कर समय अवधि को बढ़ाते हुए आधे से एक घंटे तक पहुंचाया जाता है।- बिन्दू का आकार भी अभ्यास के साथ बढ़ता है और धीरे-धीरे उसके चारों तरफ एक प्रकाश सा दिखाई देने लगता है इसके बाद अलग-अलग सात रंग की आभा दिखाई देती है। – एक स्थिति ऐसी आती है जब त्राटक के समय आप जिसका विचार करता हैं। उसके भविष्य से जुड़े सपष्ट संकेत आपको मिलने लगते है। ऐसा माना जाता है कि जो वाकई में इसका नियमित अभ्यास करता है। वह किसी व्यक्ति के आने से पूर्व सिर्फ उसके आने के समाचार मात्र से उसके आने के उद्देश्य पता लगा सकता है


रीर को स्वस्थ्य और शुद्ध करने के लिए छ: क्रियाएँ विशेष रूप से की जाती हैं। जिन्हें षट्‍कर्म कहा जाता है। क्रियाओं के अभ्यास से संपूर्ण शरीर शुद्ध हो जाता है। किसी भी प्रकार की गंदगी शरीर में स्थान नहीं बना पाती है। बुद्धि और शरीर में सदा स्फूर्ति बनी रहती है।

ये क्रियाएँ हैं:- 1.त्राटक 2.नेती. 3.कपालभाती 4.धौती 5.बस्ती और 6.नौली। आओ जानते हैं त्राटक के बारे में।

त्राटक क्रिया विध : जितनी देर तक आप बिना पलक गिराए किसी एक बिंदु, क्रिस्टल बॉल, मोमबत्ती या घी के दीपक की ज्योति पर देख सकें देखते रहिए। इसके बाद आँखें बंद कर लें। कुछ समय तक इसका अभ्यास करें। इससे आप की एकाग्रता बढ़ेगी।



सावधानी : त्राटक के अभ्यास से आँखों और मस्तिष्क में गरमी बढ़ती है, इसलिए इस अभ्यास के तुरंत बाद नेती क्रिया का अभ्यास करना चाहिए। आँखों में किसी भी प्रकार की तकलीफ हो तो यह क्रिया ना करें। अधिक देर तक एक-सा करने पर आँखों से आँसू निकलने लगते हैं। ऐसा जब हो, तब आँखें झपकाकर अभ्यास छोड़ दें। यह क्रिया भी जानकार व्यक्ति से ही सीखनी चाहिए, क्योंकि इसके द्वारा आत्मसम्मोहन घटित हो सकता है।

इसके लाभ : आँखों के लिए तो त्राटक लाभदायक है ही साथ ही यह आपकी एकाग्रता को बढ़ाता है। स्थिर आँखें स्थिर चित्त का परिचायक है। इसका नियमित अभ्यास कर मानसिक शां‍ति और निर्भिकता का आनंद लिया जा सकता है। इससे आँख के सभी रोग छूट जाते हैं। मन का विचलन खत्म हो जाता है।

त्राटक के अभ्यास से अनेक प्रकार की सिद्धियाँ प्राप्त होती है। सम्मोहन और स्तंभन क्रिया में त्राटक की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। यह स्मृतिदोष भी दूर करता है और इससे दूरदृष्टि बढ़ती है।

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