स्वर्ण तंत्रम
Swarn Tantram
स्वर्ण बनाने की दुर्लभ विधिया
पारद विज्ञानं, पदार्थ विज्ञानं या स्वर्ण विज्ञानं दुनिया का सर्वश्रेष्ठ उपलब्धि हे. जिसे फ़ारसी में " कीमियागिरी " और अंग्रेजी में " गोल्डन गॉडेस " कहा गया हे. अर्थात भगवन के दर्शन करना या उन्हें प्राप्त करना जितना ही कठिन हे उतना ही स्वर्ण विज्ञानं को सीखना या समझना कठिन है. इसलिए पुरे संसार के पारद विज्ञानी इस खोज में लगे है की वो पारद विज्ञानं को भली भाति समझ ले
मेने इस पुस्तक में इस कठिन और दुर्लभ ज्ञान को अत्यंत आसानी से समझने का प्रयास किया है. मेने ये अनुभव किया है की धीरे धीरे ये विद्या लुप्त होती जा रही है. इस पुस्तक को लिखने का विचार तब आया जब एक शिष्य मेरे पास आया उसका नया नया विवाह हुआ था परन्तु किसी वजह से शारीरिक रूप से बहुत ही कमजोर था. घर से तो वो आत्महत्या करने के लिए निकला था पर किसी तरह मेरे पास पहुंचा और अपनी व्यथा सुनाई और पूर्ण पुरुषत्व प्राप्त करने के लिए सहायता मांगी तो मेने बाजार से उसे शुद्ध पारद प्राप्त करने के लिए भेजा जो की " यौवन कर्तरी सिद्ध पारद " हो. जिसके सेवन से वह पूर्ण पुरुषत्व प्राप्त कर सके
परन्तु आश्चर्य की बात है की पुरे दिल्ली में कोई भी वेध या रसायनशाला नहीं मिली जिसमे इस तरह का संस्कारित पारद मिल सके. उस दिन मेरे मन को गहरी चोट लगी कि जो भारतवर्ष पारद विज्ञानं के क्षेत्र में सबसे आगे रहा है जिसके पास इस विज्ञानं को समझने के लिए हजारो ग्रन्थ और कई विश्वविधालय है वह इस प्रकार के पारद के संस्कार नहीं सिखाये जाते इससे बड़ा दुर्भाग्य और क्या होगा
मेने उसी समय निश्चय कर लिया कि अगर समय मिला तो इस विषय में पूर्ण प्रमाणिकता के साथ लिखने का प्रयत्न करूँगा. .
मेने उसी समय निश्चय कर लिया कि अगर समय मिला तो इस विषय में पूर्ण प्रमाणिकता के साथ लिखने का प्रयत्न करूँगा. .
पारद विज्ञानं वास्तव में एक ऐसा विषय है जिसे सिर्फ गुरु के चरणो में बैठ कर ही सीखा जा सकता है. अभी तक इस विषय पर जितने भी ग्रन्थ लिखे गए है वो या तो सभी संस्कृत में लिखे गए है या फिर इतने दुरूह और कठिन है कि उनको समझना अत्यंत मुश्किल है
मेरे जीवन का बहुत बड़ा भाग जंगलो बीता है और मेने इसकी कठोरता को आत्मसात किया है. इस प्रकार के प्राचीन ज्ञान को प्राप्त करने के लिए समझने के लिए मेने कई वर्ष हिमालय कि कंदराओं बिताये इसलिए में पूर्ण प्रमाणिकता से कह सकता हु कि भारत के यह प्राचीन ज्ञान अद्वितीय है इसके द्वारा शुद्ध और निर्दोष स्वर्ण का निर्माण किया जा सकता है और कई पीढ़ियों कि दरिद्रता दूर कि जा सकती है.
इसमें कोई दो राय नहीं है कि इस पुस्तक में जिस प्रकार के प्रयोग और परिक्षण दिए हुए है उसके माध्यम से आप घर बैठे इसमें पूर्णता प्राप्त कर सकते है पर अगर आप इस विषय को आत्मसात करना चाहते है तो ये सिर्फ गुरु चरणो में बैठ कर ही संभव है क्युकी यह विषय अनंत सागर कि तरह इहे जिसका कोई अंत नहीं है.
एक बार शंकराचार्य ने कहा था कि अगर मुझे दो या चार शिष्य ऐसे मिल जाये जो पूरी तरह समर्पित हो तो में पारद ज्ञान कि मदद से पुरे संसार कि दरिद्रता को समाप्त कर दूंगा, में भी उन्ही के शब्दों को दोहराता हुँ कि अगर सही मायनो में मुझे कुछ शिष्य मिल जाये जो कि हर परीक्षा कि कसोटी पर खरे उतरे तो में भारत कि नहीं पुरे विशव कि दरिद्रता समाप्त कर सकता हुँ क्युकी में इस ज्ञान को किताबो में नहीं बल्कि कुछ जीवित ग्रन्थ तैयार करना चाहता हूँ .
भारत की प्राचीन रहस्य्मय विधयो में एक " कीमियागिरी " या " रसायन विद्या " प्रमुख विद्याओ में एक हे. इसका प्रचलन केवल भारत में ही नहीं बल्कि चीन अरब यूनान आदि देशो में था. देखा जाये तो आज परमाणु technology का जो विकास हुआ हे उसके मूल में यही रसायन विज्ञानं है
रसायन विज्ञानं में हलकी धातुओ से जैसे ताम्बा पारा सीसा, सोना या चांदी बनाने का ज्ञान ही नहीं बल्कि ऐसी औषधोया तैयार करना भी है जो की बुढ़ापे को योवन में और मृत्यु को अनत जीवन में बदलने का ज्ञान भी शामिल है. चिकित्सा विज्ञानं में प्राचीन काल से ही दो शब्दों पे बहुत जोर दिया गया है " देह सिद्धि "और लोह सिद्धि " यानि अमरत्व की प्राप्ति और जीवन में समृद्धि.
भारत के हर प्राचीन ग्रन्थ में इस विद्या का जिक्र है. अर्थववेद में इस विद्या के bare में विस्तार से वर्णन गया है. उसमे बताया गया है की अगर पर को संखिया या नील थोथे से पुट देकर जारण किया जाये तो निश्चय ही वह पारा लोहे को सोने में बदल देता है .
रसायन विद्या की उत्पत्ति भगवान शिव से मानी जाती है. जिन्हे वेदो में रूद्र का नाम दिया गया है. भगवान शिव ने इस विद्या के सम्बन्ध में कई महत्वपूर्ण निर्देश दिए है जिनका विवरण विस्तार से " रुद्रयामल तंत्र " में प्राप्त होता है. इसके अनुसार पारद शिव वीर्य है और अपने आप में एक सजीव वस्तु है. यदि पारद में अरण्ड के बीजो का पुट देकर स्वर्णग्रास दिया जाये तो ye पारा निश्चित ही सोने में बदल जाता है. कई आचार्यो ने इस कथन पर प्रयोग भी किये और सफल हुए .
उन दिनों " अश्वनी कुमार " देवताओ के चिकित्सक थे और इस विद्या के पूर्ण जानकार थे. उन्होंने एक महत्वपूर्ण ग्रन्थ लिखा जिसका नाम " धातु रत्न माला " है इसमें ताम्बे से स्वर्ण बनाने की विधिया बताई गयी है.
अश्वनी कुमार ने पहली बार पारद के आठ संस्कारो की स्पष्ट विवेचना की. यदि ऐसे अष्ट संस्कारित पारे को किसी वृद्ध अशक्त या रोगी को दिया जाये तो यह पूर्ण काया कल्प करने की क्षमता रखता है. अश्वनी कुमार ने यह भी स्पष्ट किया है की यदि ताम्बे को पूर्ण रूप से पानी की तरह पिघला कर, इस अष्ट संस्कारित पारे का सम्पुट किया जाये तो उसी समय यह सोने में परिवर्तित हो जायेगा.
" धरणीधर संहिता " में पारद के बारे में प्रामाणिक रूप से बताते हुए कहा गया है -
य: श्लेषप्रनिलपित्तदोषशमनो रोगापहो मूर्छित: !
पंचत्व च गतो ददाति विपुलं राजयं चिरिंजीवितम् !!
वृद्धं खे गमन: करोत्यमरतां विद्याधरत्व नृणा !
सो य: पातु सूरासुरेन्द्रनमित: श्री सूतराज प्रभु !!
भारत की प्राचीन रहस्य्मय विधयो में एक " कीमियागिरी " या " रसायन विद्या " प्रमुख विद्याओ में एक हे. इसका प्रचलन केवल भारत में ही नहीं बल्कि चीन अरब यूनान आदि देशो में था. देखा जाये तो आज परमाणु technology का जो विकास हुआ हे उसके मूल में यही रसायन विज्ञानं है
रसायन विज्ञानं में हलकी धातुओ से जैसे ताम्बा पारा सीसा, सोना या चांदी बनाने का ज्ञान ही नहीं बल्कि ऐसी औषधोया तैयार करना भी है जो की बुढ़ापे को योवन में और मृत्यु को अनत जीवन में बदलने का ज्ञान भी शामिल है. चिकित्सा विज्ञानं में प्राचीन काल से ही दो शब्दों पे बहुत जोर दिया गया है " देह सिद्धि "और लोह सिद्धि " यानि अमरत्व की प्राप्ति और जीवन में समृद्धि.
भारत के हर प्राचीन ग्रन्थ में इस विद्या का जिक्र है. अर्थववेद में इस विद्या के bare में विस्तार से वर्णन गया है. उसमे बताया गया है की अगर पर को संखिया या नील थोथे से पुट देकर जारण किया जाये तो निश्चय ही वह पारा लोहे को सोने में बदल देता है .
रसायन विद्या की उत्पत्ति भगवान शिव से मानी जाती है. जिन्हे वेदो में रूद्र का नाम दिया गया है. भगवान शिव ने इस विद्या के सम्बन्ध में कई महत्वपूर्ण निर्देश दिए है जिनका विवरण विस्तार से " रुद्रयामल तंत्र " में प्राप्त होता है. इसके अनुसार पारद शिव वीर्य है और अपने आप में एक सजीव वस्तु है. यदि पारद में अरण्ड के बीजो का पुट देकर स्वर्णग्रास दिया जाये तो ye पारा निश्चित ही सोने में बदल जाता है. कई आचार्यो ने इस कथन पर प्रयोग भी किये और सफल हुए .
उन दिनों " अश्वनी कुमार " देवताओ के चिकित्सक थे और इस विद्या के पूर्ण जानकार थे. उन्होंने एक महत्वपूर्ण ग्रन्थ लिखा जिसका नाम " धातु रत्न माला " है इसमें ताम्बे से स्वर्ण बनाने की विधिया बताई गयी है.
अश्वनी कुमार ने पहली बार पारद के आठ संस्कारो की स्पष्ट विवेचना की. यदि ऐसे अष्ट संस्कारित पारे को किसी वृद्ध अशक्त या रोगी को दिया जाये तो यह पूर्ण काया कल्प करने की क्षमता रखता है. अश्वनी कुमार ने यह भी स्पष्ट किया है की यदि ताम्बे को पूर्ण रूप से पानी की तरह पिघला कर, इस अष्ट संस्कारित पारे का सम्पुट किया जाये तो उसी समय यह सोने में परिवर्तित हो जायेगा.
" धरणीधर संहिता " में पारद के बारे में प्रामाणिक रूप से बताते हुए कहा गया है -
य: श्लेषप्रनिलपित्तदोषशमनो रोगापहो मूर्छित: !
पंचत्व च गतो ददाति विपुलं राजयं चिरिंजीवितम् !!
वृद्धं खे गमन: करोत्यमरतां विद्याधरत्व नृणा !
सो य: पातु सूरासुरेन्द्रनमित: श्री सूतराज प्रभु !!
अर्थात पारे को यदि मूर्छित कर दिया जाये तो ऐसा पारा शरीर में वात पित्त एवं कफ को दूर करता है और यदि पारद का विशेष संस्कारो से मारण कर दिया जाये तो ऐसा पारद दीर्घायु देता हुआ अमरत्व प्रदान करता है और यदि पारद के आगे के संस्कार भी पुरे किये जाये तो यह आकाश गमन गुटिका देकर मनुष्य को आकाश में विचरण करने की सामर्थ्य प्रदान करता है. ऐसे मनुष्य को देवता भी प्रणाम करते है.
To be continue........
29 comments:
अति उत्तम
जय निखिलेश्वरानंदाय नमः
जय जय
पुट देना क्या होता है
महान लोगो के महान कार्य
विशाल सर ये सभी ग्रंथ कि जानकारी कुछ लोगो के पास है.
पर जिनको जानकारी है वो भी आज तक सोना बना नही पाये
कई जगह पढा है की योगी साधू जो आज भी जिंन्दा है वो आज भी ईन रसायन प्रयोग को जानते है पर सिवाय कही सूनी बातो के आखो देखा प्रमाण कही नही
थोडा गहराई से सोचु तो लगता है ऐसा कुछ है तो वो विषय और जिक्र भी विलुप्त हो जाय क्युकि कई वनस्पती ईन व्यर्थ के प्रयोग मे संसार से मानव लालच मे गायब कर देगा और ये ग्रन्थ और ऊनके रचयता भी ऐसा शायद ही संभव कर पाये होगे
ईन बातो से लोग भी लालच मे अपना संसार, कर्म ,कर्तव्य सब भुल कर आलसी होकर यही गोरख धंन्दा शुरू कर देंगे
ये सब बकवास बाते है बडी लायब्ररी और बडी लेबाँर्टरी है देश मे प्रयोग और शिक्षक भी उच्चतम विद्या कमी नही देश मे अब पर ये सब कोई सिध्द नही कर पाया ना कर पायेगा ईन ग्रन्थो की उटपटांग भाषा जो समझी नही जाती और कम जानकारी के चलते लोग ईन प्रयोग को कर के अनचाही बिमारी या वायरस ना बनादे कोई या कँन्सर से ग्रसीत ना हो
जो भी हो ईन बातो से मिलना काम का कुछ भि नही बेकार मे वक्त और नैसर्गिक संनसाधन के साथ बुद्धी भि खराब करना है और कुछ नही.
Sap Janet h
Agree with you
Main sochata hu Jim logo ne Sona banaya he vo vakei me Sona that hi nahi tambe ko kuchh jadibuti se pila color Diya ja sakta he,air tejab Prof bhi banaya ja sakta he.bas isi chij ko log Sona man lete the, us waqt laboratory nahi thi,surf kasoti stone par hi Sona parkha jata tha .aaj Time me ye mumkin nahi he ,ha parade ek bahot hi jatit matal he isko pura samjna namunkin he.isaska sahi istmal aneko bimariya due ho sakti he,air aaj bhi ye gopniy Vidya kayam he air rahegi..💯
Jitna Ho sake utna jagat ka kalyan karo,,akhir jana to he....nam rahanta thakara nanha nahi rahat. Kirti hunda kot pade nahi padant
Mere ko parad saita book chahiye
Mere ko parad saita book chahiye
Mere ko parad saita book chahiye
इस मामले में मैं आपका भरपूर साथ दे सकता हूँ, अगर आप चाहें
मेरा व्हाट्सएप नंबर-9308937111
Want to give knowledge to upcoming generation about Veda and granth. In my orphan NGOs school.plz contact us.
Thanks
Bohut bohut dhanyawad sirji
Sir Mai is gyan Ko Pana Chahta hoon,,puri sraddha se,,,agar sakshatkar ka mauka mile to mai dhanya ho jau-8292160555.please sir....
Very useful book for everyone
कोई भी आम आदमी इस क्षेत्र मैं नहीं उलझे । दुनिया मे अच्छे अच्छे रसायन शास्त्री पड़े हैं । ऐसा कुछ होता तो बात निराली होती । मगर ऐसा कुछ भी नहीं है । आपको लगता है कि यदि सोना बन गया तो ये कर लूँगा वो कर लूँगा । कुल मिला कर आपकी सोई हुई सारी कल्पनाओं को पंख लग जाते हैं । तथा आप उसमे अपनी मेहनत की कमाई का एक बड़ा हिस्सा लगा देते हैं तथा घर वाले भी लालचवश आशाओं के वशीभूत कुछ नहीं कहते । मगर अंत मे होता जाता कुछ नहीं । और व्यक्ति अपना महत्वपूर्ण समय व पैसा दोनों खो बैठता है । आप ये मान ले कि कभी थोड़ी बहुत सफलता भी किसी को मिली होगी तो वो 2-4 लाख लोगों मे से एक रहा होगा । मुझे एक 75 वर्षीय सज्जन मिले थे जो यह दावा कर रहे थे कि उनके पास जो भस्म है वो ताम्र धातु को 60 % तक वैध कर देती है । लेकिन उनके साथ जो दूसरे कीमिया बैठे रहते थे वो इन सज्जन महोदय की इस बात पर कभी ध्यान ही नहीं देते थे ।
किताबों का विक्रय हो जाता है । जड़ी बूटी वाले का सामान बिक जाता है । कुल मिलाकर लोगों को रोजगार मिल जाता है । आपके घर मे भी इस विषय के कारण एक आशा से भरी शांति छाई रहती है। सब दूर ठीक ठाक माहौल बना रहता हे । लेकिन अंत मे आप घाटे मे रहते हो । आगे क्या करना है इच्छा आपकी । आप सभी का दोस्त ।
जो इसके बारे मे बताते वो लोग भी इसमे सफल नही हो पाए हैं तो कैसे विश्वास किया जाय इस पर बड़ा मुश्किल दिखता है
Aap kaise sath de skte haii
aap kya sath de sakte ho
best
Parad sanhita book ho to bataye
Mahashay ji, Meine Aaj aapka ye jawab padha hai ki aap ish karya m madad kar sakte hai. Mein ye janana chahta hu ki aap kish prakar se sahaita karenge shpasth karne ki kripa kijiye. Mein apna WhatsApp number de Raha hu ishpar aap mujhe sampark kar sakte hai.. R.Singh
Mera WhatsApp number -7003374168
एक निष्ठ होकर अपने उद्योग, व्यापार, व्यवसाय, में लगन और मेहनत करनाही स्वर्ण तन्त्र हैं।
बाकी सब बकवास हैं।
Jo bana sakte hai wo bata nahi sakte tumhari budhdhi jitni hai tumne likh diya ye kriya Saty hai parantu koi publish nahin karega pahle patrata dekhi jati hai
Kaun kahta hai ki Biswas Karo ye laddhu nahi hai jo bataye jate hai
Bhai ye lalchi aur bhogi nahi bana sakte tyagi purshon Se hi hoga
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